यह आफत ए जान : पाकिस्तान
कोई भी वजीर ए आजम आए पाकिस्तान में ,
हिंदुस्तान के लिए आफत ए जान रहेगा ही ।
है सभी के खून में दुश्मनी और ज़हन में खुरापात ,
कोई भी आए कश्मीर का राग अलापेगा ही ।
क्या करें बेचारे ! मर्ज़ ही ऐसा नामुराद पाया है ,
दीवानगी के सबब गाहे बगाहे हमसे पंगा लेगा ही ।
बुनियाद ही ऐसी नफरत पर जिसकी बनी है ,
मकान यह मनहूस निगाहों में हमेशा खटकेगा ही ।
बदनसीबी से पड़ोसी है सीने में मूंग दाल गलने को,
अब दिल चाहे या चाहें निभानी तो ता उम्र पड़ेगी ही ।
दीवाना तो है ही मगर तबियत से शैतान भी कम नहीं ,
वक्त बेवक्त पर हमारी सरहदों से घुसपेठ करता रहेगा,
बदकिस्मती ऐसे वतन की ये नासूर झेलना पड़ेगा ही।