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14 Jan 2018 · 1 min read

यह अब आपकी समझ.

1.
जीने का ढ़ंग क्या बदला,
लोगों ने साम्प्रदायिक कह दिया,
खाता हु पीता हु नित्यकर्म करता हु.
इसमें भी जाति वर्ण धर्म दिखता है तुम्हें.
खामोश हु वाचाल नहीं,
कम से कम अब तो बक्श दो ।।
2.
मुल्क की सोचने वाले बल्क में नहीं सोचा करते,
जो बल्क में सोचते है वे राजनीति किया करते है,
धार्मिक लोग सम्प्रदाय नहीं देखा करते,
(जाति और वर्ण की बात तो सोचना दूर)
ये लोग तो अमीरी और गरीबी के बीच में खाई नहीं खोदा करते,
.
डॉ0महेंद्र

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 1 Comment · 415 Views
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