यही _ प्यार_ यही _ संसार है —– कविता
मेरा आना देख तुझे रुक जाना।
धीरे धीरे पहचान बनाना।
मेहमान एक दिन का था,
गांव तेरे ही बस जाना।
यही प्यार की शुरुवात थी।
अब मै तेरे,तू मेरे पास थी।।
सिलसिला चलने लगा,
प्यार दोनों और पला।
देख हमारी यारियां,
जलने वाला खूब जला।।
आज हम साथ है,
एक से जज्बात है।
यही प्यार, यही संसार,
बीत रहे शुकून से
तुम्हारे हमारे दिन रात है।।
राजेश व्यास अनुनय