यही मेरा निष्कर्ष!
स्वपन तो थे बहुत
किंतु कोई पूर्ण न हुआ
लक्ष्य तो था जीवन का
किन्तु सम्पूर्ण न हुआ।
कदाचित स्वपनों में थी आवश्यकता
असत्य की अनैतिकता की
लक्ष्य में स्थापित करना था स्थान
आडम्बर का चरित्र-हीनता की।
उद्देश्य और संस्कार का नहीं साथ
देता ये आभास आज का जीवन-दर्शन
संस्कार स्वाहा कर ही उद्देश्य प्राप्ति
स्पष्ट करता ये आज का मनुष्य जीवन।
हूँ मैं स्वयं से असहाय
संस्कार तोड़ नहीं सकती
उद्देश्य प्राप्ति के लिए
चरित्र छोड़ नहीं सकती।
हाँ मैं चाहती अपना लक्ष्य
अपने जीवन का हर्ष
हाँ मैं चाहती
जीवन का उत्कर्ष ।
लेकिन ये मेरा अटल, अडिग सत्य
स्वयं को नहीं कर सकती असत्य।
यही था और यही है मेरा निष्कर्ष
यही मेरी आत्मा यही मेरा दर्श
यही सम्पूर्ण मेरा यही मेरा निष्कर्ष!
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess panwar
स्वरचित,मौलिक