Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2024 · 1 min read

यही बात समझने में आधी जिंदगी बीत गई

यही बात समझने में आधी जिंदगी बीत गई
कि सबके लिए अच्छा होना
मेरा खुद के लिए अच्छा नहीं है।।

26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गीत
गीत
जगदीश शर्मा सहज
विचार और भाव-1
विचार और भाव-1
कवि रमेशराज
तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
तमस अमावस का घिरा, रूठा उजला पाख।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
" सुनो "
Dr. Kishan tandon kranti
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
Ravi Prakash
किसी की इज़्ज़त कभी पामाल ना हो ध्यान रहे
किसी की इज़्ज़त कभी पामाल ना हो ध्यान रहे
shabina. Naaz
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
Awadhesh Singh
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
शेखर सिंह
ज़िंदगी की चाहत में
ज़िंदगी की चाहत में
Dr fauzia Naseem shad
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मोर छत्तीसगढ़ महतारी
मोर छत्तीसगढ़ महतारी
Mukesh Kumar Sonkar
खालीपन - क्या करूँ ?
खालीपन - क्या करूँ ?
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कितना दर्द सिमट कर।
कितना दर्द सिमट कर।
Taj Mohammad
** सीने पर गहरे घाव हैँ **
** सीने पर गहरे घाव हैँ **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
The Unseen Dawn: A Tribute to Subhas Chandra Bose
The Unseen Dawn: A Tribute to Subhas Chandra Bose
Mahesh Ojha
तुम घर से मत निकलना - दीपक नीलपदम्
तुम घर से मत निकलना - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*प्रणय प्रभात*
"अकेलापन"
Pushpraj Anant
हरषे धरती बरसे मेघा...
हरषे धरती बरसे मेघा...
Harminder Kaur
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
आज के युग का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है
पूर्वार्थ
अपने दिल में चोर लिए बैठे हैं
अपने दिल में चोर लिए बैठे हैं
Suryakant Dwivedi
♤⛳मातृभाषा हिन्दी हो⛳♤
♤⛳मातृभाषा हिन्दी हो⛳♤
SPK Sachin Lodhi
सभी लालच लिए हँसते बुराई पर रुलाती है
सभी लालच लिए हँसते बुराई पर रुलाती है
आर.एस. 'प्रीतम'
दर्द आँखों में आँसू  बनने  की बजाय
दर्द आँखों में आँसू बनने की बजाय
शिव प्रताप लोधी
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बस मुझे महसूस करे
बस मुझे महसूस करे
Pratibha Pandey
महाकाल
महाकाल
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
Loading...