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13 Aug 2020 · 1 min read

यही ना के फिर शाम होने वाली है

यही ना के फिर शाम होने वाली है
एक और गमगीन रात तेरे नाम होने वाली है

तुझे तो मोहब्बतों के ख्वाब आते होंगे
मेरी तो नींद तक हराम होने वाली है

आज फुर्सत से लिख रहा हुं तुझको
आज मेरी गजल तमाम होने वाली है

आज तो तनहा बहुत खुश हुं मैं
आज तनहाई बदनाम होने वाली है

2 Comments · 207 Views
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