यही ना के फिर शाम होने वाली है
यही ना के फिर शाम होने वाली है
एक और गमगीन रात तेरे नाम होने वाली है
तुझे तो मोहब्बतों के ख्वाब आते होंगे
मेरी तो नींद तक हराम होने वाली है
आज फुर्सत से लिख रहा हुं तुझको
आज मेरी गजल तमाम होने वाली है
आज तो तनहा बहुत खुश हुं मैं
आज तनहाई बदनाम होने वाली है