यही तो मैं चाहता हूँ
नयी उम्मीद का उजाला
ना शांत हो वो ज्वाला
प्यार के कुछ शब्द
निश्चय एक सुदृढ़
एक उजली सी मुस्कान
एक ख़्वाबों की डगर
सर्दियों की सर्द रातों में
प्यारा सा गुनगुना स्पर्श
थामने को एक हाथ
पूरे करने को कुछ ख़्वाब
एक भरोसेमंद दोस्त
खर्च करने को चंद नोट
पढ़ने को एक किताब
बस इतना ही तो मैं चाहता हूँ साहब
–प्रतीक