यही तो इश्क़ का दस्तूर है,
मैं जनता हूँ तू मुझसे दूर है,
यही तो इश्क़ का दस्तूर है,
लैला मजनू के पास होती,
हीर रांझे की ना आस होती,
गर रकीब ना होते इश्क़ में,
ये महोबबत भी बकवास होती,
तुझपे ही विश्वास है,
तू धड़कनो की प्यास है,
रुक रही है साँसे मेरी,
ये दिल बड़ा मजबूर है,
दुख़्ता है दिल मेरा,
यही तो इश्क़ का दस्तूर है,
तेरी सांसो की साँसे बनजाऊँ,
दिल के हर कोने में बसजाऊँ,
तू देखे तो नज़र में आऊँ,
वरना फना मैं हो जाऊँ,
तू हयात तो में जिंदा हूँ,
तू पिंजरा तो मैं परिंदा हूँ,
ये साथ यू ही बना रहे या रब!
और ना कुछ मुझे मंजूर है,
यही तो इश्क़ का दस्तूर है,
तेरे इश्क़ में जिया, इश्क़ में मारूँगा,
सारी दुनिया से मैं करूँगा,
दुनिया वाले चाहे कुछ कर ले,
हर कोशिश चूर-चूर है,
यही तो इश्क़ का दस्तूर है “साहिब”,
यही तो इश्क़ का दस्तूर है,