यही इश्क़ है
इस दुनिया की कश्मकश में
दिल किसी एक पर आना
हजार हसीन चेहरे इर्द-गिर्द होते हुए भी
एक ही चेहरे पर नज़रों का ठहर जाना
उसके क़रीब आते ही
मेरी साँसों में परिवर्तन आना
अचानक दिल की धड़कनों का तेज़ हो जाना
ये इश्क़ नहीं तो फिर क्या है मेरी जान??
उसकी हर राय का
मेरे लिए सही हो जाना
उसका मेरे हर ज़ख़्म का मरहम बन जाना
मानो रेगिस्तान में प्यासे को पानी मिल जाना
ये इश्क़ नहीं तो फिर क्या है मेरी जान??
मेरे मन मौसम का
इस तरह तब्दील हो जाना
मानो मखमली स्याही से
किसी फ़रिश्ते का पैग़ाम
मेरी तक़दीर में लिख जाना
ये इश्क़ नहीं तो फिर क्या है मेरी जान??
❤️ सखी