यहां से उठालूँ ____घनाक्षरी
यहां से उठालूं और भिजवा दूं तुमको मैं।
एडिटिंग वैडिटिंग मुझे नहीं आता है।।
लिखता हूं दिल से नकल नहीं करता।
चोरी वोरी करना भी मुझे नहीं आता है।।
दिल के विचार मेरे प्यार करूं सब से ही।
भेदभाव करना भी मुझे नहीं आता है।।
लिखो लिखो “अनुनय”लिखो सदा ऐसा तुम।
वाह वाही झूंठी लेना मुझे नहीं आता है।।
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कट किया पेस्ट किया फॉरवर्ड कर दिया।
किसी के विचारों को काहे को चुराते हो।।
मनन कर लीजिए भाव भर लीजिए
अच्छे-अच्छे भाव ही तो सब को लुभाते हैं।।
विचारों की क्रांति से भ्रांतिया है मीट जाती
प्यास अपने भावों से काहे न बुझाते हो।।
मिलेगी प्रेरणा सबको प्रेरक तो बनिए
“अनुनय” नव लेख काहे न सुझाते हो।।
राजेश व्यास अनुनय