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8 Nov 2024 · 1 min read

यहां बिना कीमत कुछ नहीं मिलता

यहां बिना कीमत कुछ नहीं मिलता
हर एक चीज़ की कीमत चुकानी पड़ती है

जिस सिंहासन पर बैठा हो धृतराष्ट्र
वहां हर एक को नजरें झुकानी पड़ती हैं

चाहे हजारों गम दफन हो इस सीने में
मगर चेहरे पर मुस्कुराहट लानी पड़ती है

ये मंजिलें यूँ ही बैठे बिठाए किसी को हैं नहीं मिलती
नज़रें रस्ते पर टिकानी पड़ती हैं

ये मत सोच ए-अमन कि तेरे पास कुछ नहीं
जितनी चदर हो लातें उतनी फैलानी पड़ती हैं

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