यहां बिना कीमत कुछ नहीं मिलता
यहां बिना कीमत कुछ नहीं मिलता
हर एक चीज़ की कीमत चुकानी पड़ती है
जिस सिंहासन पर बैठा हो धृतराष्ट्र
वहां हर एक को नजरें झुकानी पड़ती हैं
चाहे हजारों गम दफन हो इस सीने में
मगर चेहरे पर मुस्कुराहट लानी पड़ती है
ये मंजिलें यूँ ही बैठे बिठाए किसी को हैं नहीं मिलती
नज़रें रस्ते पर टिकानी पड़ती हैं
ये मत सोच ए-अमन कि तेरे पास कुछ नहीं
जितनी चदर हो लातें उतनी फैलानी पड़ती हैं