*यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें (हिंदी गजल)
यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें (हिंदी गजल)
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(1)
यहाँ पर आजकल होती हैं ,बस बाजार की बातें
चलो आओ करें हम-तुम ,जरा कुछ प्यार की बातें
(2)
ये नफरत से भरी दुनिया, ये बम-बंदूक के झगड़े
इन्हें इस पार छोड़ें हम ,करें उस पार की बातें
(3)
यहाँ पर जीत मुश्किल है, यहाँ चलती है चालाकी
मिली हमको जो दुनिया में, करें उस हार की बातें
(4)
पढ़ें नयनों की भाषा हम ,परखकर आँख के आँसू
जरूरी अब मधुर-मुस्कान ,प्रिय उपहार की बातें
(5)
दिमागों ने लगाई आग,सुनकर दिल के किस्सों को
शुरू फिर हो गयीं चाकू ,छुरी-तलवार की बातें
(6)
घरों के बढ़ गए खर्चे ,बढ़ीं कब आमदनियाँ हैं
यही चिन्ता-भरी हैं आज, हर परिवार की बातें
(7)
बिना रिश्वत किसी दफ्तर में ,कोई कुछ नहीं होता
वही हैं बेशरम हर ओर, भ्रष्टाचार की बातें
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451