यहाँ कलयुग की सरकार है
मौका था, दस्तूर था,
देश प्रेम की बात थी ।
नेताओं का जमघट था,
और सबके मुखपर, हमारा नाम था ।।
इन्हीं नेताओं के जमघट में,
सारी जनता ने मेरा चुनाव किया ।
फिर समझ न आया कुछ हमको,
क्यों वोट में बहिष्कार किया ।।
नेता लालची हो गए,
सब जनता लालची हो गए ।
इसलिये यहाँ, सबलोग धोखा दे गये,
मेहनत पर पानी फेर गये ।।
अच्छे लोगों की नहीं यारों,
गुण्डे-मवाली की चाहत है,
जो सभी का सरदार है ।
यहाँ कलतक जिसका विरोध था,
आज उसी का जयकार है ।।
पापी पाँव पसार बैठे हैं,
जनता सब लाचार है ।
क्या कहूँ अब भाई रे तुमसे,
यहाँ कलयुग की सरकार है ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 18/01/2021
समय – 02:33 (रात्रि)
संंपर्क – 9065388391