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18 Dec 2021 · 3 min read

यशोदा माय

यशोदा माय
बरहमपुरी गांव में एकटा पुजारी बरहम शर्मा रहे।जे गांव के महादेव मठ में पुजारी के काम करे। पुजारी मिलनसार रहे। पुजारी जी मठ में ही अपन पत्नी अहिल्या के साथ रहे।मठ में चौका बर्तन करे के लेल एकटा महिला मुनिया रहे।जे वही गांव के रहे। मुनिया के पति भी मठ के खेती बाड़ी के काम देखे।
कुछ समय बाद दोनों अहिल्या आ मुनिया गर्भवती भेल। अहिल्या के लडका आ मुनिया के लड़की जनम लेलक।
लेकिन तीन महीना बाद दूर्भाग्यवश डायरिया के कारण अहिल्या परलोक सिधार गेल। पुजारी जी अपना दूधमुहां बच्चा के लेल परेशान रहे लागे रहल।इ दुख मुनिया के देखल न गेल।
मुनिया पुजारी जी से कहलक-पुजारी जी अंहा चिंता न करु। अंहा के बौआ के हम अपन दूध पिला के पालव।हम बुझब की हमरा जौंआ बच्चा भेल हैय।हम समान रुप से पालब।
पुजारी जी मुनिया से कहलन-मुनीया।तू हमरा मन के बात पूरा क देला।हम त बच्चा के पाले के लेल कहे चाहत रह ली हैय। हम इ ऋण तोरा बेटी के पढा के पूरा करब।
मुनिया पुजारी के बच्चा आ अपन बच्ची के अपन दूध पिला के पाले लागल।
समय बीतल गेल।आइ पुजारी के लड़का सर्वजीत आ मुनिया के लड़की मेधा का नाम गांव के ही स्कूल में पहिला वर्ग में लिखायल गेल।साथे साथे सर्वजीत आ मेधा पढे लागल।संगे संगे खेले लागल।
समय के साथ सर्वजीत आ मेधा गांव के नजदीक सुरसर डिग्री कॉलेज में पढ़े लागल।दूनू गोरे
बीए आनर्स फस्ट क्लास में पास कैलक।
समय के साथ सर्वजीत पुलिस में बहाल हो गेल।
दूनू में प्रेम भी रहे।अब सर्वजीत आ मेधा प्रेम विआह के बारे में बात करे लागल। लेकिन सर्वजीत में अपन माता पिता के छवि देखे।
सर्वजीत कहलक-मेधा हम आ तू जौड़े जौड़े पढ ली हैय।हम दूनू गोरे जबान छी।दूनू गोरे दू जात छी। प्रेम विआह में कोनो बाधा न हैय। कानून भी हमरा पक्ष में हैंय। लेकिन प्रेम विआह से पहिले बाबू जी से अनुमति चाहे छी।
मेधा कहलक-हं हं। बाबू जी स अनुमति जरूर ले ला।हमहूं अपना माय बाबू जी से अनुमति ले ली छी।
सर्वजीत अपन बाबू जी से रात में कहलन-बाबू जी।हम मेधा से बड़ा प्रेम करै छी।हम मेधा से विआह करे चाहे छी।
पुजारी कहलन-सर्वजीत इ विआह न हो सकै हैय। मेधा तोहर बहिन हैय।भाई-बहिन में विआह न हो सकै हैय।
सर्वजीत कहलक-बाबू जी हम दूनू दू जात छी। हम बाभन आ मेधा सोलकन हैय। विआह त हो सकै हैय।
पुजारी जी कहलन-सर्वजीत तू न जानैय छा।जब तू तीन महीना के रहा।तोहर माय मर गेलथून। मुनिया तोरा अपन दूध पिला के पाल ले हौअ। तोरा आ अपन बेटी मेधा के जौंआ संतान लेखा पाल ले हौअ। मुनिया तोहर यशोदा माय हौव। जेना भगवान किशन के यशोदा माय हैय।
सर्वजीत कहलक-बाबू जी इ बात हमरा मालूम न रहल हैय।हम त मेधा के माय के कामवाली समझैत रहली हैं।आइ हम समझली मेधा हमर बहिन हैय।काल्हि हम अपना हाथ में राखी बंधायब।
इधर रात में अपन माय के मेधा कहलक-माय।हम सर्वजीत से प्रेम करै छी।हम दूनू गोरे एक दोसर के प्रेम करै छी।हम प्रेम विवाह करे चाहे छी।अइला कि हम दूनू गोरे दू जात के छी। सर्वजीत बाभन हैय आ हम सोलकन छी।
मुनिया कहलक-सर्वजीत से तोहर विआह न हो सकै हैय।चाहे हम दू जाति के भले न होय।हम सर्वजीत के अपन दूध पिला के पोस ले छी। सर्वजीत जब तीन महीना के रहे त वोकर माय मर गेल रहे।हम अपन बेटा जेका पोस ले छी।हम सर्वजीत के यशोदा माय छियै।
मेधा कहलक-माय। हम त सर्वजीत के पुजारी जी के बेटा समझैत रहली हैय।आइ समझ ली कि सर्वजीत हमर भाई हैय।हम काल्हि अपन भैया हाथ में राखी बांधब।
काल्हि सबेरे मेधा अपना माय के साथ मठ में पहूच गेल।
सर्वजीत अपना बाबू जी के साथ चौकी पर बैठल रहे।
मेधा बोललक-भैया सर्वजीत।
सर्वजीत बोललक-बहिन मेधा।
दूनू आंख से आंख बात कैलक। कुछ बोले के जरुरत न पड़ल।
मेधा अपन भाई सर्वजीत के हाथ में राखी बांध देलक।
सर्वजीत आगे बढ़ के अपन यशोदा माय मुनिया के गोर छू के प्रणाम कैलक। यशोदा माय मुनिया अपन आशीर्वादी हाथ सर्वजीत के मुड़ी पर रख देलक।

स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Maithili
566 Views
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