Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2022 · 2 min read

यमराज से अनुबंध

लघुकथा
यमराज से अनुबंध
***************
आज सुबह से सातवीं बार बिना नंबर के यमराज नाम से काल आ चुकी है। अब तक तो मैं नजर अंदाज करता रहा , मगर जब फिर से काल आ गई तो मैं भी झुंझला गया और फोन रिसीव कर गुस्से में बोल गया – बोल रे यमराज! क्या तकलीफ़ है?
उधर से बड़े सलीके से जवाब मिला। नहीं मैं तो सिर्फ इसलिए फोन कर रहा था कि आपका सुबह ठीक ४ बजे का कन्फर्म टिकट है।तो आप अपना बैग तैयार कर लो। अपनी जरूरत का हर सामान याद करके रख लो।
मगर मैंने तो कोई टिकट लिया है, फिर वेटिंग या कंफर्म का सवाल कहाँ से आ गया?
इतना भोले न बनो बाबू । आपका ही नहीं हर प्राणी का टिकट माँ के गर्भ में आते ही वेटिंग हो जाता है।
यमराज ने बड़े प्यार से उत्तर दिया।
मगर मैं अभी यात्रा करने की स्थिति में ही नहीं हूं। ऐसा करो कि टिकट निरस्त कर दो। मैं भी मूड में आ गया।
वाह हहहहहहह क्या बात है बाबू। आप तो बड़े होशियार है, मगर निरस्तीकरण के लिए भी तो आपको चलना ही पड़ेगा। अब आपको तो पता है कि भगवान का कार्यालय अभी आनलाइन नहीं हो सका है। यमराज ने शर्माते हुए कहा
तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं? मैंने लापरवाही से कहा
आपके नाम का ही तो इसका टेंडर हुआ है,बस आप वहां पहुंच कर जल्दी से काम शुरू कर दो। यमराज के स्वर में उत्सुकता के भाव थे।
वाह वाह, आप तो मुझे बेवकूफ समझते हो, जाकर अपने मालिक को बोलो- मेरी एक अदद शर्त है।मान्य हो तो आना, वरना टेंडर कैंसिल।
ऐसे कैसे टेंडर कैंसिल हो जाएगा। टेंडर की शर्तें पहले से निर्धारित हैं। आपको यात्रा तो करनी ही पड़ेगी अन्यथा वारंट लेकर आऊंगा।
जाओ यार! तुम जैसे रोज़ छत्तीस धरती के यमराज घूमते रहते हैं, वैसे भी तुम या तुम्हारे भगवान यहां मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते। मैं भी ताव खा गया।
यमराज थोड़ा नरम पड़ गया। जिद न करो प्रभु। मैं विवश हूं।
तो मैं ही कौन सा तुम्हारे स्वागत में खड़ा हूं। जाओ और जाकर भगवान से मेरी बात कराओ।
अरे यार! जो शर्त हो बोलो। मैं ही गारंटी दे देता हूं, मेरी गारंटी सर्वमान्य है। भगवान भी उसी पर हस्ताक्षर करते हैं।
तो सुनो! मैं फिर इस धरती पर नहीं आना चाहता। मंजूर है तो ठीक, वरना मैं चला होने। भूख लगी हो तो खाना खा लो और चलते बनो।
चलो खिला दो और सुनो तुम्हारी शर्त टेंडर में जुड़ जायेगी। लेकिन तुम्हें भी मेरी एक शर्त माननी होगी।
अब यार कथा मत सुनाओ। मुझे हर शर्त मान्य है, सिवाय धरती पर आने के। अब ऐसा करो कि खाना खाओ थोड़ा आराम कर लो। ताकि हम समय से निकल सकें। मैं किसी भी हाल में अपनी यात्रा नहीं छोड़ता।
सुबह मेरा शरीर बेजान पड़ा था और मैं ऊपर से धरती का तमाशा देख रहा था।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 325 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
Anand Kumar
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
महफ़िल में कुछ जियादा मुस्कुरा रहा था वो।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं लिखती नहीं
मैं लिखती नहीं
Davina Amar Thakral
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
4744.*पूर्णिका*
4744.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
International Day Against Drug Abuse
International Day Against Drug Abuse
Tushar Jagawat
🌸*पगडंडी *🌸
🌸*पगडंडी *🌸
Mahima shukla
स्क्रीनशॉट बटन
स्क्रीनशॉट बटन
Karuna Goswami
हम भी अगर बच्चे होते
हम भी अगर बच्चे होते
नूरफातिमा खातून नूरी
आदि ब्रह्म है राम
आदि ब्रह्म है राम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जिंदगी कभी रुकती नहीं, वो तो
जिंदगी कभी रुकती नहीं, वो तो
Befikr Lafz
When I was a child.........
When I was a child.........
Natasha Stephen
"एकान्त चाहिए
भरत कुमार सोलंकी
आज़माइश कोई
आज़माइश कोई
Dr fauzia Naseem shad
तितली
तितली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
घडी के काटोंपर आज ,
घडी के काटोंपर आज ,
Manisha Wandhare
"तुम्हें कितना मैं चाहूँ , यह कैसे मैं बताऊँ ,
Neeraj kumar Soni
जून का महीना जो बीतने वाला है,
जून का महीना जो बीतने वाला है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
काश यह मन एक अबाबील होता
काश यह मन एक अबाबील होता
Atul "Krishn"
*अच्छी बातें जो सीखी हैं, ऋषि-मुनियों की बतलाई हैं (राधेश्या
*अच्छी बातें जो सीखी हैं, ऋषि-मुनियों की बतलाई हैं (राधेश्या
Ravi Prakash
नेता जी शोध लेख
नेता जी शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरा भारत देश
मेरा भारत देश
Shriyansh Gupta
"जख्म"
Dr. Kishan tandon kranti
"Stop being a passenger for someone."
पूर्वार्थ
नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ये जिंदगी है साहब.
ये जिंदगी है साहब.
शेखर सिंह
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
Ranjeet kumar patre
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
Loading...