यमराज की शुभकामनाएं
मेरे जन्म दिन (०१ जुलाई) पर विशेष
यमराज की शुभकामनाएं
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हैलो! श्रीवास्तव जी
मैं यमलोक से यमराज बोले रहा हूं
आपके जन्मदिन पर
शुभकामनाओं सहित बधाइयों का टोकरा भेज रहा हूं
काम का बोझ ज्यादा है
इसलिए स्वयं नहीं आ पा रहा हूं।
यमलोक में आजकल सोशल मीडिया पर प्रतिबंध है
मणिपुर हिंसा का शायद ये असर है
इसलिए अपने सबसे प्रिय मित्र के हाथों
खुबसूरत गुलदस्ता बधाइयां शुभकामनाओं संग
बड़ी आत्मीयता से भेज रहा हूं।
आप बड़े सज्जन हैं मैं जानता हूं
आपको बहुत अच्छे से पहचानता हूं।
बिना किसी शिकवा शिकायत के स्वीकार कीजिए
मेरी अनुपस्थिति को मन से माफ कीजिए।
मैं जानता हूं आप तो स्वीकार कर ही लेंगे
पर आपके शुभचिंतक बहुत कुढ़ेंगे
वे मेरी विवशता भी नहीं समझेंगे।
पर ये मेरा वादा है कि
मैं जल्द ही आपका दर्शन लाभ लेने आऊंगा
आपका आशीर्वाद लेकर धन्य हो जाऊंगा
यमलोक में एक बड़ा कवि सम्मेलन
विलंब से ही सही आपके सम्मान में कराऊंगा
आपका जन्मदिन एक बार फिर से अभूतपूर्व बनाऊंगा।
धरती आकाश पाताल के
कवियों कवयित्रियों को बुलाऊंगा
देवी देवताओं से सबका सम्मान कराऊंगा,
आपके आशीर्वाद से अपने मकसद में
कामयाब भी हो जाऊंगा।
साहित्य की दुनिया में मैं भी छा जाऊंगा।
बस प्रभु!आप अपना ध्यान रखिए
स्वस्थ सानंद रहिए
मेरी कामना है आप शतायु दीर्घायु हों
जन्मदिन खूब उत्साह से मनाइए,
एक बार फिर से मेरी बधाइयां शुभकामनाएं लीजिए
लगे हाथ अपना आशीर्वाद भी दे दीजिए,
आप तो सबका कल्याण करने वाले हैं
मेरे कल्याण का भी कुछ उपाय कीजिए।
जन्मदिन के अवसर पर नाचिए गाइए
बस! एक सलाह भी देता हूँ,
ज्यादा मिठाई खाकर अपना शुगर न बढ़ाइए।
सोचता हूं मन की बात कहूं या न कहूं
चलिए कह ही देता हूं आपसे संकोच कैसा?
मेरे आने वाले जन्मदिन पर भी
एकाध आयोजन करा दीजिए
मेरी भी चाहत को महसूस कीजिए,
अपने शिष्य का भी भौकाल बना दीजिए।
आपका नाम अखिल ब्रह्माण्ड में चमके
साहित्याकाश में सुधीर श्रीवास्तव का नाम दमके।
हमारी शुभकामना, बधाई को
हमारा उपहार समझ मन से स्वीकार करिए,
हमको भी अपनी कृपा से आच्छादित रखिए
इतने भर से ही हमारा मान बढ़ता जायेगा
यमलोक में हमारा भी नाम
आपकी तरह ही चमक जायेगा,
और तब ये नाचीज़ फूला नहीं समायेगा,
क्योंकि तब यह संदेश दुनिया में फैल जायेगा
जब मेरे सिर पर आपका हाथ आ जायेगा।
तब मुझे यमलोक के साहित्य जगत में
चमकने से भला कौन रोक पायेगा?
बस! प्रभु मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए
मेरी उपस्थिति को मन से मान लीजिए
हमारी ही नहीं हर किसी की शुभकामना, बधाई
बड़े प्यार से स्वीकार कीजिए,
अपने जन्मदिन को यादगार बनाइए
बड़ों को प्रणाम कर आशीर्वाद लीजिए
छोटों को स्नेह आशीर्वाद दीजिए।
जन्मदिन है तो क्या हुआ
ज्यादा उछलकूद मत करिए
अगला जन्म दिन भी तो मनाना है
इसलिए अपने स्वास्थ्य का भी तो ध्यान करिए।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित