यमक अलंकारित दोहे
#अलंकार ? #यमक
विधा ? दोहा छंद
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रचना
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अर्क-अर्घ्य जब अर्क को, सादर किया प्रदान |
मुदित उदित नवयौवना,और हुयी द्युतिमान ||०१||
काम सदन में काम को,काम मिला अभिराम |
समय शिला पर लिख गये, नवल धवल आयाम ||०२||
काम-कला में कामिनी,दिखी बहुत निष्णात |
अंतस से झरने लगे,सुंदर सुखद प्रपात ||०३||
रति में रति रमने लगी, काम हुये मति-भंग|
काम-सदन में काम का , रचने लगा अभंग ||०४||
देह-गेह में काम की,उठने लगी तरंग |
मुदित उदित नवयौवना,पावन प्रणय प्रसंग ||०५||
पाये कंत बसंत में , कर दी कृपा कृपालु |
रजनी में रजनी हुयी , और अधिक लज्जालु ||०६||
सुंदरता की मूर्ति सम, लखी सरित के तीर ।
तीर नयन का उर लगा, बनी हमारी हीर ।।०७।।
हर्षित गर्वित ‘शुक्ल’ ने,भाव किये लिपिबद्ध।
आप सभी आनंद लें , अनुनय कर, करबद्ध।।०८।।
पूर्णतः स्वरचित , स्वप्रमाणित
पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार