यदि मैं होता रावण तो
वो बताते रहे कि
दस मुख का रावण है
जो क्रोध-अहंकार आदि से ग्रस्त है
यही दोष उसके दस मुख हैं –
जिन्हें नष्ट कर दो तो रावण समाप्त है
मैं सुनता रहा फिर
सोचता रहा
कि होता यदि मैं रावण तो
क्या होते दस सिर मेरे
…..
माँ जिसने महानता सिखाई
पिता जो मार्गदर्शक थे
गुरु जिन्होंने ज्ञान दिया
भाई जो भरोसेमंद है
बहन जो सच्चा रिश्ता है
पत्नी जो साथी है
पुत्र जो सहारा है
बेटी जो प्रेम से सेवा करे
मित्र जो मेरे दुःख उठाये
और
दसवां मैं स्वयं अपनी सारी कमियों के साथ !
हर एक मुख मेरा ही है|