*यदि मक्खी आकर हमें डराती (बाल कविता)*
यदि मक्खी आकर हमें डराती (बाल कविता)
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अगर बेधड़क होकर चूहा
उछल-कूद ही करता
और छिपकली का बच्चा भी
हमको देख न डरता
कौए काँव-काँव नित करके
पास हमारे आते
बिल्ली-कुत्ते निर्भय होते
तब हम भगा न पाते
आफत में पड़ते यदि मक्खी
आकर हमें डराती
घर से बाहर कौन निकलता
घर में मुश्किल आती
अच्छा किया प्रभो !
पशु-पक्षी को डरपोक बनाया
हम डरते हैं इनसे
तुमने इनको नहीं बताया
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451