यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में,
गाँठ हृदय के आज खोल लो।
उधड़ी परतें संबंधों की,
तो फिर मुश्किल होगा सीना।
प्रेम हीन रिश्तों में रहना,
बहुत कठिन है जीवन जीना।
अगर मोलने से मिल जाए,
फिर तो झट से प्रीति मोल लो।
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में,
गाँठ हृदय के आज खोल लो।
क्यों बैठे हो मुंह फुलाए,
सोच रहे हो वह आयेगा।
आयेगा अवलेप लगाकर,
कुण्ठीत मन को सहलायेगा।
यदि तुम ऐसा चाह रहे हो,
तत्क्षण ही कुछ शब्द बोल लो।
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में,
गाँठ हृदय के आज खोल लो।
बिना विचारे बोल न बोलो,
कहे- सुने को भाव न देना।
रहे सहज संबंध मृदुल जो,
नाव बंध की खुद ही खेना।
मीठापन यदि चाह रहे हो,
मंशा अपनी आप तोल लो।
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में,
गाँठ हृदय के आज खोल लो।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’