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18 May 2024 · 1 min read

सज्जन

सज्जन वह जो करे भलाई ।
पर उपकार करे वह भाई।।
यश प्रशंसा का नहीं भूखा।
श्रम कर खाता रूखा सूखा।।

जन जन से व्यवहार शलीना।
स्वार्थ त्याग कर परहित जीना।
नहि काहू की करे बुराई।
प्रेम भाव मर्याद निभाई।।

दुर्जन का नहि करता संगा।
नशाखोर को समझ कुसंगा।।
भाग्य भोग प्रभु के आधीना।
कर्म वीर सज्जन का जीना।।

झूठ कपट का नहीं सहारा ।
बिन बदले करता उपकारा।।
धर्म नीति को रखता आगे ।
कर्म धर्म से कभी न भागे।।

मानव होकर देव समाना।
लेता कम देते ही जाना ।।
लाखों मानव में दो चारा।
सज्जन ज्ञानी हैं परिवारा।।

राजेश कौरव सुमित्र

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