*यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता*
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यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता।
फिर वो यूं ही कोई पराया नहीं होता।
उसे आज उस की मंजिल ना मिलती,
गर उसने कुछ भी गंवाया नहीं होता।
वो फिर ज़ोर से रोया नहीं होता यदि,
उसने अपनों को हंसाया नहीं होता।
परखने से वो ओर तजुर्बेकार हो गया,
काश उसे ओर आजमाया नहीं होता।
वो मेरी जिंदगी से यूं रुखसत ना होता,
यदि उसे पलकों में सजाया नहीं होता।
वो शख्स हरगिज़ मसीहा ना बनता,
अगर उसे यूं ही सताया नहीं होता।
सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।