यथा क्रम अलंकार (एक से पांच राम तक)- गुरू सक्सेना
एक से पाँच राम तक
यथाक्रम अलंकार
घनाक्षरी छंद
राम की कृपा से आते जाते दो अभिन्न मिले,
वाणी पै विराजमान राम-राम हो गए।
तीन काल तीन ताप तीन गुण तीन ऋण,
तीनों में समाये राम, राम-राम हो गए।
चार वेद जिनकी न महिमा बखान सके,
चारों युग राम राम राम-राम हो गए।
अगन पवन जल धरन गगन राम,
भिन्न राम राम राम राम राम हो गए।
गुरु सक्सेना नरसिंहपुर( मध्य प्रदेश)