sp133 मैं अज्ञानी /वामपंथी सेकुलर/ वह कलम की धार
वो भी तिरी मानिंद मिरे हाल पर मुझ को छोड़ कर
यात्राएं करो और किसी को मत बताओ
"धन-दौलत" इंसान को इंसान से दूर करवाता है!
बॉलीवुड का क्रैज़ी कमबैक रहा है यह साल - आलेख
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
हाथ से मानव मल उठाने जैसे घृणित कार्यो को छोड़ने की अपील करती हुई कविता छोड़ दो।
जबले जान रही ये जान (युगल गीत)
222. प्रेम करना भी इबादत है।
"उतावलेपन" और "बावलेपन" में कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं होता। दोनों "द
भैया के माथे तिलक लगाने बहना आई दूर से