मज़लूम
मजलूमों की दुआ न सही ,
जो “आह” ही सुन लेता मेरे मौला,
तो आज इस जहन्नम की आग ना होती,
किसी को भी फिर किसी जन्नत की चाह न होती ।
मजलूमों की दुआ न सही ,
जो “आह” ही सुन लेता मेरे मौला,
तो आज इस जहन्नम की आग ना होती,
किसी को भी फिर किसी जन्नत की चाह न होती ।