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22 Sep 2020 · 1 min read

मौसम

मौसम की भांति जीवन विविधताओं से परिपूर्ण है घर की डयोढ़ी रोज़ भीग जाती है सुबह की मंद मंद बूदों से पर कुछ देर में स्वच्छ दिखने लगती है उसी तरह जैसे भीगे नैन खूब छलकने के पश्चात्
और खुबसूरती से चमकते हैं।छोटे मोटे व्यवधान तो जीवन में आते ही रहते हैं
कभी किसी पथ में रुकावट आती है तो नयी चेतना के साथ अन्य द्वार खुल जाता है मानो पथ की सारी शिलाएं जो कल तक बाधक थी आज दूर हो गयी हो प्रयास विफल हो ऐसा मुमकिन नहीं क्योंकि भीगने का जहां एक ओर भय होता है उसी भांति फुहारों से आलिंग्न करने में अपना ही आनंद है।सुख दुख जीवन में आते जाते रहते है पर अपनी मुस्कुराहट और धैर्य नहीं खोना चाहिए
मेरी कलम से दोनों अवस्थाओं में शब्द एक समान बहते हैं नित् नये पहले से इतर क्योंकि ये शाश्वत है ये कभी नहीं बदलते इंसानों की भांति जो जाने क्या क्या खोजते हैं जाने क्या चाहिए।मंद मंद बारिश अब थम गयी है पर समीर अभी भी बह रह है शीतलता देने के लिए।शांत चित प्रयोजन सिद्धि के लिए
सर्वप्रथम उपयोगी है यहां क्रोध घृणा इर्ष्या का स्थान नगण्य होगा।डयोढ़ी फिर चमक गयी पहले की भांति लगता है बूंदों से डयोढ़ी ही नहीं हृदय भी खिल गया विशाल हो गया पहले से भी अधिक।

मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 501 Views
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