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13 Oct 2024 · 1 min read

मौसम है मस्ताना, कह दूं।

मौसम है मस्ताना, कह दूं।
किस्सा कोई पुराना, कह दूं।

छलके आँसू ज्यों आँखों से,
आँखों को मयखाना कह दूं।

घाटा और मुनाफ़ा छोड़ो,
मुश्किल रोज़ कमाना कह दूं।

बैठो पास अगर आकर तो,
मैं दो चार समस्या कह दूं।

है बीत गई इक उम्र मगर,
हर हरकत बचकाना, कह दूं।

ऐसी कोमल कंचन काया,
बारिश में सकुचाना कह दूं।

मत पूछो गुजरी बातें, वर्ना,
रोज नया अफ़साना कह दूं।

सिखला दूं आ इश्क मुहब्बत,
कैसे किसको पाना कह दूँ।

इश्क कहूं या रोग “परिंदे”?
या तुझको दीवाना कह दूं..?

पंकज शर्मा “परिंदा”

1 Like · 2 Comments · 32 Views
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