मौसम सुहाना
बारिश के सुहाने मौसम में
जब प्रकृति रंग बिखेरती है
तेरे बिन ओ मेरे दिलबर
यह मौसम भी बदरंग लगता है
तेरे कदमों की धीमी आहट
दिल पर दस्तक देती है
तेरी पायल की मीठी सी खनक
रस आनंद के घोलती है
अचानक छम से आना तेरा
बरसना फुहारों सा लगता है
बूंद मानिंद बरस जाना तेरा
रंग प्यार के घोलता है
तेरे आने से दिल को
अजब सुकून सा मिलता है
क्यों नहीं यह मौसम सुहाना
जीवन पर्यंत ऐसा ही रहता है
जीवन पर्यंत ऐसा ही रहता है…
इति।
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्य प्रदेश