मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
दिन है तन्हा, रात है तन्हा, चलो कोई दर्द भुलाई जाए,
मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई, चलो मेरी नींद चुराई जाए,
मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
दरिया में जो पानी भरा हुआ है, समंदर में मिलाई जाए,
मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
मेरे इस दिल में जो प्यार भरा है, सब पर लुटाई जाए,
मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
ओझल होते इन सपनों को, पलकों में सजाई जाए,
मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
दोस्ती के नाम पर, सुकूँ-ए-ज़िंदगी को गले लगाई जाए,
मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
नफ़रत से भरे रिश्तों से, हर वो कैकशा मिटाई जाए,
मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
दर-ओ-दीवार में लगी तस्वीरें, निगाहों में सजाई जाए,
मौसम बहुत सर्द है, आओ कुछ ख़्वाहिशों को आग लगाई जाए!!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”