मौसम ने भी रँग भरे , लिए पृष्ठ अब खोल
मौसम ने भी रँग भरे , लिए पृष्ठ अब खोल
कानों में गूँजे मधुर ,कोयलिया के बोल
कोयलिया के बोल, बौर की खुशबू बिखरी
फीके मन में घोल, रही ये केसर मिसरी
लगता है ली ओढ़, ख़ुशी की चादर गम ने
खुशियों के जो फूल, खिलाए हैं मौसम ने
डॉ अर्चना गुप्ता