मौसम तो बस बहाना हुआ है
ताल्लुक टूटा तो गिरे शाख से पत्ते
मौसम तो बस बहाना हुआ है।
रखा पांव जो सूखे पत्तों पे हमने
सरसराहट से मन दीवाना हुआ है।
इंतजार में ये सरसराहट बताये
जैसे कि तेरा आना हुआ है।
बेसाख्ता यादों ने हमें घेर बैठी
सूखे पत्तों का कब ठिकाना हुआ है।
अजब अहसास तारी हुआ दिल पे
जैसे दिल से किसी का जाना हुआ है।
सरसराहटों में सुगबुगाहट भी है
नगमा कोई जैसे पुराना हुआ है।
सुरिंदर कौर