मौसम कुछ कुछ सर्द सा…
आज मौसम कुछ कुछ सर्द सा था
दिल में यादों का मर्ज़ सा था
हम तड़प रहे थे दीद को तेरी
भीगी भीगी अंखियां थी
और सूना सूना लब्ज़ सा था
आज मौसम कुछ कुछ सर्द सा था
बारिश भी कुछ कुछ रिमझिम थी
और याद तुम्हारी हरदम थी
पलक़ झपकने में डर था
इस सूनी सूनी दुनिया का
बस तू ही तू समंदर था
लहरें थी तेरी यादों की
और दिल में थोड़ा दर्द सा था
आज मौसम कुछ कुछ सर्द सा था
शायद बेमौसम सावन था
बस रिमझिम गिरता मौसम था
तुम पास नहीं यही गम था
बिन तेरे दिल भी मद्धम था
धड़कन सुन ले ‘शायर’ की
इतना तो तुझपे क़र्ज़ सा था
आज मौसम कुछ कुछ सर्द सा था
… भंडारी लोकेश ✍️