Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2017 · 1 min read

मौसम की व्यथा

रे मौसम क्यों करते हो हम पर इतने सितम
अभी चंद महीनों पहले ही तो तुम थे कितने गरम
तुम्हारी प्रचंड अग्नि की वर्षा को सह न पाते थे हम
हमारी कोमल देह को अपने ताप से तपाते थे तुम
कभी शीतल जल तो कभी पसीने से नहा जाते थे हम
रे हठीले मौसम क्यों ढाते हो इतने सितम
मानव के मिजाज़ से तुम भी नहीं हो कम
एक पल में उगलते हो इतनी आग और दूजे क्षण बर्फ से जाते हो जम
मन से हो कितने निष्ठुर चंचल प्रियतम
अपनी प्रचंडता तो कभी शीतलता से तोड़ देते हो हमारे भ्रम
रे नखरीले मौसम कब तक ढाते रहोगे सितम

रे मानव कुदरत के वश में मैं रहता हूँ हरदम
तुम्हारी अति से त्रस्त रहता हूँ हरदम
हरियाली को तरसता हूँ पर उससे ही वंचित रहता हूँ
दूषित धुंए से है घुटता मेरा मन सह नहीं पता तुम्हारे सितम
क्या करे बेचारा मौसम दुःख का मारा हम सब के प्यार को तरसता हरदम
आओ मिलकर सब लें ये कसम पर्यावरण को सदा संवारेंगे हम

Language: Hindi
2 Likes · 513 Views

You may also like these posts

अपनी बुरी आदतों पर विजय पाने की खुशी किसी युद्ध में विजय पान
अपनी बुरी आदतों पर विजय पाने की खुशी किसी युद्ध में विजय पान
Paras Nath Jha
इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
Neelofar Khan
बीन अधीन फणीश।
बीन अधीन फणीश।
Neelam Sharma
इस तरह कुछ लोग हमसे
इस तरह कुछ लोग हमसे
Anis Shah
कब करोगे जीवन का प्रारंभ???
कब करोगे जीवन का प्रारंभ???
Sonam Puneet Dubey
3567.💐 *पूर्णिका* 💐
3567.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"दोस्ती क्या है?"
Pushpraj Anant
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
Ajad Mandori
सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)
सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)
Ravi Prakash
ऋण चुकाना है बलिदानों का
ऋण चुकाना है बलिदानों का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
Shravan singh
अनैतिकता से कौन बचाये
अनैतिकता से कौन बचाये
Pratibha Pandey
नारी
नारी
Dr fauzia Naseem shad
दोहा पंचक. . .
दोहा पंचक. . .
sushil sarna
दिल बेकरार है
दिल बेकरार है
Jyoti Roshni
जिस दिन ना तुझे देखूं दिन भर पुकारती हूं।
जिस दिन ना तुझे देखूं दिन भर पुकारती हूं।
Phool gufran
उनके दामन से आती है खुश्बू सूकुन की.
उनके दामन से आती है खुश्बू सूकुन की.
Ranjeet kumar patre
मुक्तक
मुक्तक
Vandana Namdev
जमाने को खुद पे
जमाने को खुद पे
A🇨🇭maanush
"अकेलापन"
Dr. Kishan tandon kranti
- लोग दिखावे में मर रहे -
- लोग दिखावे में मर रहे -
bharat gehlot
कर दिया समर्पण सब कुछ तुम्हे प्रिय
कर दिया समर्पण सब कुछ तुम्हे प्रिय
Ram Krishan Rastogi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Anurag Mehta Suroor
कुछ पल
कुछ पल
Mahender Singh
बेघर
बेघर
Rajeev Dutta
हालातों में क्यूं हम
हालातों में क्यूं हम
Shinde Poonam
जो लड़ाई ना जीती जा सके बयानों से..
जो लड़ाई ना जीती जा सके बयानों से..
Shweta Soni
हर युग में इतिहास
हर युग में इतिहास
RAMESH SHARMA
तू है जगतजननी माँ दुर्गा
तू है जगतजननी माँ दुर्गा
gurudeenverma198
Loading...