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12 Oct 2024 · 1 min read

मौसम किसका गुलाम रहा है कभी

ना रखिए उम्मीद ज्यादा किसी से
जो मिल जाय रख लिजिए खुशी से

कब तक नाराज़ रहिएगा ज़माने से
गल्तिया तो होती रहती है आदमी से

मौसम किसका गुलाम रहा है कभी
कभी खुशी छिन लेता है जिंदगी से

दुःख में ही तो तुझे याद करते हैं हम
तू तो नाराज़ ही होगा मेरी बंदगी से

काले बादल डरावने लगने लगते हैं
तु अंधेरा खत्म कर देता है रोशनी से

जब भर जाता मन मेरा अवसाद में
आशा की दीप जला देता है कहीं से।

नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर

Language: Hindi
29 Views
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