मौसम का मिजाज़ अलबेला
मौसम का मिजाज़,
बनते बिगड़ते देर नहीं,
पल भर मे धूप – छाँव,
क्षण मात्र में वर्षा का जल,
प्रकृति की अद्भुत घटना स्वतंत्र,
हृदय प्रसन्न और सुंदर हो मौसम।
शीतल पवन बयार बहे मनच् सी,
साँसो मे भर दे जीवन की शीतलता,
रूठें का मिजाज़ यूँ पल मे बदल दे,
धारा को सजा दे रंगो से इंद्र धनुष,
आँखों मे उमंग जगा दे,
लालिमा रुधिर कण मे बढ़ाये।
काले श्वेत घन अम्बर से,
सूर्य की किरणों के संग खेले,
छाया को उज्जवल कर दे,
धरा के रंगो को फिर भर दे,
हरे भरे वनों के अंदर,
अंकुरित कर नया जीवन पनपे।
मिजाज़ मौसम का रुसवाई-सा,
तन्हाई और तरुणाई-सा ,
यौवान-सा झलके बरसे सजके,
रूठें नयी वधु-सा,
भिगो-भिगो कर तन को मेरे ,
एहसास दे जाये अपने मन का।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा हमीरपुर।