मौसमी आवारगी है आपसे
मौसमी आवारगी है आपसे।
खुशबुओं में सादगी है आपसे।
है नजर की जुस्तजू जो एक रू।
कुदरतन दीवानगी है आपसे।
फूल कलियों चांदनी की नाजुकी।
शबनमी अंदाजगी है आपसे।
प्यार की हर शाम तुम में ही ढली।
हर इबादत वंदगी है आपसे।
दिल के कोनों में तराशा आपको।
सांस पलछिन जिंदगी है आपसे।
तुम जला करते जेहन में इश्क बन।
दर्द को नाराजगी है आपसे।
जख्म गुम जाकर जहाँ पर हो गये।
फितरती खुश- तीरगी है आपसे।
अंकितशर्मा ‘इषुप्रिय’