मौलिक हिन्दी
एक पेंटर लेखक
और
एक कवि लेखक ने.
.
सबसे ज्यादा
नुकसानदेह साबित हुए हैं,
लेखन त्रुटियों वा इतिहास से छेड़छाड़
बहुत हुई.
स्वीकार कौन करे.
जिम्मेदारी से खौफ.
विकास या विनाश तो मालूम नहीं.
तत्सम तद्भव देशज आदि के स्वीकार सीमित हो.
एक भाषा हिंदी है.
पर वैज्ञानिक क्यों नहीं,
हमारे फैलाव सीमित क्यों है.
हम चिकित्सा, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, में पीछे क्यों है,
दुभाषिया हिन्दी के मौलिक व्यक्ति कम क्यों हैं