मौलिक सृजन
मौलिक सृजन
लिखिए,नित नया कुछ लिखिए।
आस-पास परिवेश से सीखिए।
अपने अंदर,जगाइए सृजन शक्ति ।
मन के भावों की सफल अभिव्यक्ति।
गूगल से चुराना,अनैतिक, अधर्म।
सच्चे कलाकर्म का समझिए मर्म।
शब्द,भाव अगर मौलिक होगा।
सृजन का सुख अलौकिक होगा।
-©नवल किशोर सिंह