मौला के घर देर है पर,
मौला के घर देर है पर,
न कभी अंधेर है।
होती न आवाज कोई,
उस खुदा की मार में।
सतीश सृजन
मौला के घर देर है पर,
न कभी अंधेर है।
होती न आवाज कोई,
उस खुदा की मार में।
सतीश सृजन