मौन रहेंगे
विधा – गीतिका
छंद- रोला (सम मात्रिक)
मापनी 11 // 13 चरणांत में गुरु/वाचिक 443 या 3323 // 32332 या 3244
पदांत- मौन रहेंगे
समांत- एँगे
जीवन है विषकूट, पियेंगे मौन रहेंगे.
घात और प्रतिघात, सहेंगे मौन रहेंगे.
कलियुग के अवसाद, ग्रहण में इस जगती को,
और धधकता देख, जलेंगे मौन रहेंगे.
हम जनपथ की राह, बिलखते लोकतंत्र में,
जन-जन का बलिदान, करेंगे मौन रहेंगे.
लालच, मत्सर भूत, नाचता जिनके सिर पर
दुर्योधन हर बार, पलेंगे मौन रहेंगे.
काक-बया का बैर, छछूँदर-साँप विवशता,
शर शैया पर भीष्म, जिएँगे मौन रहेंगे.
छद्म, द्यूत, बल, घात, चाल हो शकुनी जैसी
अवसर पाते दाँव, चलेंगे मौन रहेंगे.
लोकतंत्र में भ्रष्ट, बिना कब चलता शासन,
भ्रष्टाचारी और, बढ़ेंगे मौन रहेंगे.