मौन तपधारी तपाधिन सा लगता है।
मौन तपधारी तपाधिन सा लगता है।
मन निर्विकार मलिन सा लगता है।।
कठिन तपस्या कर मेहनतकश,
संयमी सदाचारी पराधीन सा लगता है।।
मुनि हर पावन तहसीन सा लगता है।
मनुज वन में बैठा नज़रीन सा लगता है।।
गम्भीरता की मूर्त दुरस्तीन सा लगता है।
जग को सुन्दर मनमलिन सा लगता है।।
चिन्तन मनन और हारलीन सा लगता है।
अज्ञानी अर्ज्ञी के कारण दीन सा लगता है।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
झांसी बुन्देलखण्ड