मौन गीत
मौन गीत
गीत मेरे दिल से उतर कर
मेरी आत्मा में लीन हैं
जाने कब के गीत
बिन गाए
गुनगुनाये
भीतर ही भीतर
कसमसाए से
डूबते उतराते
दिल के अनजान कौनों में
समाते रहे
भले ही
मैं वीणा बजा न सकी
फिर भी उगलियां
वीणा के तारों से
खेलती रहीं
मन की वीणा
के तार कभी
उलझते
कभी सुलझते
अपने आप को
सहलाते रहे
दुलराते रहे
और
मैं गा उठी
स्वरहीन
शब्द हीन
गीत ।
डॉ. करुणा भल्ला