मौन खड़े होते हैं अपने
पड़ती हैं जब भी मुसीबत, इतिहास गवाही देता है।
मौन खड़े होते हैं अपने
बस दर्दे चीख सुनाई देती हैं।।
आज़मा के क्या करेंगे
ये दिल खेलने के चीज़ तो नहीं है।
आए-गए बहुत ख़ुद को यार कहने वाले
ये दिल, दिल है कोई अंजुमने-मय तो नहीं है।।
जो चाहे कह दों,ये मनमानी अच्छी बात नहीं है
अपने मन की सच , केवल सच हो
ये बात सच नहीं है।।नीतू साह