मौन आंखें
मौन आंखे
मौन आंखे बोलती है ,
भेद हृदय का खोलती है l
हृदय है या दुख का दरिया ,
मन ही मन टटोलती है l
दुखों का सम्राज्य दिल पर,
इस कदर हावी हुआ हैl
बढ़ता ही जा रहा है दर्द ,
दर्द -ए- दिल इक साज हुआ है l
असमंजस में है ये आंखे ,
नई उम्मीद की राहे ताके l
तिमिर दुखों का छट जाए ,
हृदय का प्रलय हट जाए l
हर्ष की किरणें प्रस्फुटित हो ,
स्नेह, विश्वास, उम्मीद लेकर l
हृदय प्रेम प्रकाश रूपी ,
किरणों से फिर प्रमुदित हो l
रीता यादव