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1 Dec 2021 · 1 min read

मौत से निकाह

निभा चुके तुझसे अब तक बहुत ए ज़िंदगी ,

अब मौत की गोद में जाकर ही मिटेगी तश्नगी।

निकाह होगा हमारा क़ज़ा से जब तुम देखना ,

पैरहन चाँदनी सा पहनकर मेरी रूह सजेगी ।

चाँद -सितारों सी डोली जैसे जगमग जनाज़े में,

दुल्हन बनी मेरी सजीली रूह मुस्कुराएगी ।

तेरे साथ तो थी जमाने की ठोकरेंऔ ज़िल्लत ,

और चैन -ओ -सुकून का तोहफा क़ज़ा हमें देगी ।

चले जाएंगे सदा के लिए तुझसे हम रुसवा होकर ,

फिर न कभी दुनिया -ए -चमन में वापसी होगी ।

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