“मौत निश्चित है”
हर कोई सफर में है यहाँ..
एक ऐसे सफर में जिसका अन्त निश्चित है
सबके पास एक लक्ष्य तो है मगर काल्पनिक हैं
सब बेखबर है अपनी वास्तविक मंजिल से
और चले जा रहे हैं एक अन्जान रास्ते पर
वो हासिल क्या करना चाहते हैं कोई नहीं जानता
सब ऐसे प्रतीत होते हैं मानो फसे हो किसी भ्रमजाल में
सब अनभिज्ञ है अगले ही पल के घटनाक्रम से
फिर भी अपनी अपनी परिकल्पनाओं के साथ
सब निरन्तर अग्रसर है अपने अपने सफर में
अनिश्चितता के इस सफर में सब कुछ अनिश्चित है
प्रारब्ध से लेकर अन्त तक के सभी घटनाक्रम अनिश्चित है
निश्चित है तो केवल अन्त निश्चित है….
अन्तिम सत्य निश्चित है मौत निश्चित है… मौत निश्चित है|
कुलदीप….. ✍