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14 May 2024 · 1 min read

मौत का डर

जिंदगी एक पतंग की डोर है,
जो बिन पूछे चली जाती है।
तलवार की धार पर खड़े है लोग,
पता नही चलता कब कट जाती है।
एक पल की जिंदगी है तब भी,
गुमान क्यूं इतना दिखलाती है।
ना जीने का डर, होकर निडर,
जिंन्दगी ऐसी खेल खेल जाती है।
जिंदगी अनमोल है ऐसी ,
तब भी मौत गले लगा लेती है।

अनिल “आदर्श”

Language: Hindi
73 Views
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