मौत का खबर सुनता रहा
मौत खबर सब सुनता रहा
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यूं ही मै गरल पीता रहा,
चारदीवारी में गुनता रहा।
नजर बंद हो अपने घर में,
मौत खबर सब सुनता रहा।
अपनों से अपने भी दूर हैं,
काँधा भी नहीं मजबूर हैं।
दूना कर गए ओ जगत को,
अस्थियां उनके चुनता रहा।
नजर बंद हो अपने घर में,
मौत खबर सब सुनता रहा।
छीनी किसने उनकी साँसें,
उजड़ गई उनकी दुनिया।
हालात से मजबूर बहुत हैं,
सपन सुरीले बुनता रहा।
नजर बंद हो अपने घर में,
मौत खबर सब सुनता रहा।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना (छत्तीसगढ़)
मो. 8120587822