मौत आती है बेख़ौफ़
मौत आती है बेख़ौफ़
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मौत आती है बेख़ौफ़,
बेशक है मन में ख़ौफ़,
पर है ये कड़वी सच्चाई,
साथ नहीं देती है परछाईं,
ताउम्र जिसका किया भला,
वो ही मौके पर गया चला,
आख़री वक्त पर नहीं धेला,
मानव रह जाता है अकेला,
जीवन मे मिलती नई राहें,
उसी पर चले जिस पर चाहें,
कोई नही राह में साथी,
हर राह शमशान को जाती,
यहीं पर अक्ल ठिकाने आती,
कोई चीज नहीं मन को भाती,
मनसीरत नहीं अक्ल का कच्चा,
मूर्ख नही चतुर है बच्चा-बच्चा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)