मौज कर हर रोज कर
मौज कर हर रोज कर
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मौज कर हर रोज कर,
खुशियों की खोज कर।
साथ ले कर और का,
खुद की भी सोच कर।
मंजिलों की राह पर,
चलता रह तू दौड़ कर।
वक्त की रामज समझ,
ख्वाइशों को छोड़ कर।
मनसीरत मन डोलता,
बंदिशों को तोड़ कर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैंथल)